द हाॅन्टिंग मर्डर्स : पार्ट - 6
मोहित इस तरह से अचानक अपने सामने उस कार के आकर रुकने से, ठिठक कर वहीं खड़ा हो गया और सोचने लगा यह कौन हो सकता है आखिर? क्योंकि उस कार की विंडो पर काले शीशे चढ़े हुए थे और अंदर कौन है? ये मोहित को बाहर से तो बिलकुल भी नज़र नहीं आ रहा था।
तभी उस कार की विंडो के शीशे नीचे होने लगे लगे और मोहित को नज़र आया, उस कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा हुआ एक आदमी, जो की अपने ड्रेसिंग से तो उस कार का मालिक ही लग रहा था। और वो आदमी अपनी कार में अकेला था और मोहित भी शायद उसे पहली बार ही देख रहा था।
"कहीं जाना है तो मैं ड्राॅप कर सकता हूं, वैसे भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट इतनी आसानी से नहीं मिलेगा आप को इस जगह पर" - अंदर गाड़ी में बैठे उस लगभग 30 - 35 साल के आदमी ने काफी विनम्रता से कहा तो मोहित चाह कर भी मना नहीं कर पाया क्योंकि उसे भी जल्दी से कही पहुंचना था और सच में उस आदमी की कहे अनुसार उसे वहां उस सड़क पर काफी कम ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट नज़र आ रहा था।
इसलिए अपनी ज़रूरत और मौके का फायदा उठाते हुए मोहित उस आदमी का ऑफर मान कर; उस के साथ ही उस के बगल वाली सीट पर बैठ गया।
"थैंक यू सो मच सर! आपने मेरी मदद की...वैसे आप हैं कौन?" - मोहित ने अपने सवाल शुरू ही किए थे कि उस आदमी की तरफ एक नज़र उठाकर उसे इस तरह से देखा कि जैसे वह इशारे से मोहित को कोई सवाल ना करने को बोल रहा था।
"इट्स ओके, अगर आप नहीं बताना चाहते तो..." - बोल कर मोहित ने उस आदमी को पूरा ऊपर से नीचे तक एक बार अपनी डिटेक्टिव वाली नजरों से निहारा।
फॉर्मल ब्लैक 3 पीस सूट पहने वह सामान्य से चेहरे, मगर अट्रैक्टिव पर्सनैलिटी वाला व्यक्ति मोहित को कोई अमीर बिजनेसमैन या किसी कंपनी का मालिक लगा और सीधी तरह से देखा जाए, तो अब तक गलत तो उस में कुछ भी नहीं लग रहा था उस वक्त और ऊपर से वह आदमी मोहित की मदद ही तो कर रहा था इसलिए मोहित भी कुछ नहीं बोला और फिर थोड़ी देर बाद एक जगह पर उस आदमी ने गाड़ी रोक दी और बोला - "कहां जाना है आप को, यह तो बताया ही नहीं आपने?"
"लेकिन फिर भी सही जगह ही पहुंचा दिया आपने!" - मोहित खिड़की से बाहर झांक कर जगह का जायज़ा लेते हुए बोला
"ओ अच्छा! मुझे भी इस तरफ ही जाना है लेकिन यहां से थोड़ा और आगे..." - वह आदमी एकदम सपाट लहजे में बोला उसके चेहरे पर कोई भी भाव नहीं थे।
"ठीक है, फिर आप मुझे यही ड्रॉप कर दीजिए, यहां से आगे मैं पैदल ही चला जाऊंगा एंड थैंक यू फॉर योर हेल्प मिस्टर...." - बोलते हुए मोहित ने उस आदमी से हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे किया लेकिन उस आदमी ने आगे बढ़ाकर मोहित से हाथ नहीं मिलाया और दोनों हाथ उसी तरह से स्टेरिंग पर रखे हुए बोला - " नमन आहूजा! मेरा नाम एंड नाइस टू मीट यू मिस्टर..." - अपना नाम बताने के बाद वह आदमी भी रुक गया जैसे कि मोहित का नाम जानना चाह रहा हो।
"मेरा नाम मोहित है।" - मोहित कार से उतरते हुए बोला और फिर से उस ने एक नज़र पूरी कार और उस आदमी पर डाली लेकिन मोहित के कार से उतरने के बाद, वह आदमी और उस की कार दोनों ही वहां पर रुके नहीं और सीधे वहां से चले गए।
मोहित भी उस कार को वहां खुद से दूर जाते हुए बिना पलक झपकाए, तब तक देखता रहा जब तक कि वह कार उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई।
"अजीब सा बंदा था, लेकिन काम आया मौके पर और मदद भी की..." - उस आदमी के बारे में सोचते हुए मोहित रास्ते पर चल रहा था और फिर कुछ ही देर में हो उस घर तक पहुंच भी गया जहां का पता उसे बड़ी मुश्किल से मिला था।
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तृषा विशाखा के साथ टैक्सी में बैठ कर अपने पीजी की तरफ लौट रही थी कि तभी उस का मोबाइल फोन रिंग हुआ और उस ने देखा तो मोहित का कॉल था, तृषा ने कॉल रिसीव की और बोली - "हां बोल, क्या हुआ?"
"अभी कहां है तू?" - मोहित ने पूछा
"रास्ते में हूं, वापस घर जा रही हूं।" - तृषा ने जवाब दिया
"तेरे घर से पहले जो मेन रोड है, वहां उतर जाना मैं तेरा वेट कर रहा हूं वही" - मोहित ने जल्दी से बोला
"लेकिन अब इस वक्त कहां जाना है?" - तृषा ने मोहित से पूछा
"अरे पहले मिल तो फिर बताता हूं।" - मोहित ने बोला और बिना तृषा का जवाब सुने ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।
"मोहित का कॉल था?" - विशाखा ने तृषा की तरफ देख कर पूछा
"हां और अब तू अकेली ही जा अपने घर, मुझे बुलाया है उस ने" - तृषा रोड आते ही टैक्सी रुकवाती हुई बोली
"ओके, ध्यान से जाना..." - बोलते हुए विशाखा ने तृषा को साइड हग किया और फिर तृषा टैक्सी से उतर गई।
वो एकदम सुनसान सी दिखने वाली सड़क थी और रात के लगभग 9:00 बज रहे होंगे, इक्का-दुक्का गाड़ियां नजर तो आ रही थी लेकिन काफी तेज़ स्पीड में आती जाती हुई।
और तृषा वहां उतर कर चारों तरफ नजरें घुमा कर मोहित को ढूंढने लगी। लेकिन मोहित उसे वहां पर कहीं भी नजर नहीं आया तो वो खुद में ही बड़बड़ाती हुई बोली - "कहां रह गया ये मोहित का बच्चा, मुझे बुला कर खुद गायब!"
"हेलो मिस!" - पीछे से किसी आदमी की आवाज सुन कर त्रिशा पलटी तो उसने देखा उसके सामने एक लगभग 30 - 32 की उम्र का आदमी अपनी जींस की जेब में हाथ डाले हुए खड़ा है और तृषा को इस तरह से देख रहा था जैसे कि उस ने कोई गुनाह कर दिया हो इस जगह पर आ कर...
"जी... आप कौन?" - तृषा अपने सामने खड़े उस आदमी को देख कर थोड़ा हकबकाती हुई बोली क्योंकि उसे इस वक्त मोहित के अलावा किसी और के इस जगह पर मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी, तो फिर यह आदमी ऐसे अचानक यहां कैसे?
"यही तो मैं आप से पूछ रहा हूं कि आप इस वक्त यहां क्या कर रही हैं? इट्स नॉट सेफ!" - उस आदमी ने एक तरह से तृषा को वाॅर्न करने वाले लहजे से बोला
उस की बात पर तृषा ने उसे एक नज़र ऊपर से नीचे तक घूरा और पूरी तरह से नोटिस करने लगी। नॉर्मल कपड़े पहने, नॉर्मल सा दिखने वाला वह अच्छी कद काठी वाला आदमी, तृषा को किसी भी तरह से अपने लिए कोई खतरा तो बिल्कुल भी नहीं लग रहा था, लेकिन उस का इस तरह से फिक्र करना भी तृषा को खटक रहा था।
क्योंकि आखिर कितने लोग होते हैं आजकल, जो इस तरह रास्ते पर खड़ी लड़की को देख कर उसे सावधान करने के लिए चले आते हैं।
"एक्चुचली मैं.. अपने फ्रेंड का वेट कर रही हूं यहां पर!" - तृषा ने जबरदस्ती स्माइल करते हुए उस आदमी से कहा
"ओके बट फिर भी, जिस तरह से मर्डर्स हो रहे हैं आजकल इस शहर में, बस इसलिए ही मैंने बोला कि इट्स नॉट सेफ, ऐसे रात को इस तरह सड़क पर अकेले खड़े होना।" - वह आदमी एक तरह से अपनी सफाई देते हुए बोला
"थैंक्स फॉर योर कंसर्न! पर मैं अपना ख्याल रख सकती हूं और वैसे इस वक्त अकेले यहां आप भी तो हैं, आप को भी सावधान रहना चाहिए।" - तृषा उस आदमी से लगभग चिढ़कर बोली क्योंकि उसे इस तरह दूसरों की लाइफ में दखल देने वाले लोग बिल्कुल पसंद नहीं आते थे।
"हां, सही कह रही हैं आप; मैं तो बस जा ही रहा था।" - बोलते हुए उस आदमी ने अपने हाथ पीछे बंधे और मेन रोड से ऑपोजिट सड़क के किनारे की तरफ जाने लगा।
तृषा के मन में एक बार को आया कि उस आदमी से पूछ ले कि जब रास्ता इधर है, तो वह उधर दूसरी तरफ भला क्या करने जा रहा है लेकिन फिर तृषा ने अपने मन से इस खयाल को झटका और मन में बोली - "उसे क्या करना चाहे कहीं भी जाए क्या पता, उधर ही रहता हूं।"
लेकिन तृषा उस जाते हुए आदमी की बैक को भी घूर घूर कर ही देख रही थी जब तक कि वह आदमी तृषा से दूर जाता हुआ, रात के अंधेरे में कहीं गुम नहीं हो गया।
"उधर क्या देख रही है तु मैं इधर हूं यार!" - तृषा को अपने पीछे से अब एक जानी पहचानी सी आवाज आई तो वो पीछे मुड़ कर मोहित को घूरती हुई बोली - "इडियट कहीं के, कहां गायब हो जाते हो मुझे बुला कर; पता है कब से वेट कर रही हूं।" और फिर वह आगे बढ़ कर उसे मारने लगती हैं शिकायत वाला...
"अरे.. अरे बस कर यार!" - मोहित तृषा के दोनों हाथ पकड़ते हुए बोला
"सच में कितना सुनसान रास्ता है और ऊपर से अकेली खड़ी हूं मैं यहां कब से और फिर वह अजीब सा आदमी आ गया था।" - तृषा शिकायती लहजे में मोहित से बोली
"ओ माय गॉड! जिंदा तो बच गया ना वो बेचारा आदमी, अब इतनी रात गए, चुड़ैल के पल्ले पड़ जाए तो क्या पता? क्या हो उस के साथ...." - मोहित तृषा की शिकायत सुन कर उस का ही मजाक उड़ाते हुए बोला
"वह तो बच गया, लेकिन तू नहीं बचेगा आज मोहित के बच्चे.." - तृषा फिर से उसे मारती हुई बोली
"अरे मेरे बच्चे ने क्या किया अब वह तो बेचारा पैदा भी नहीं हुआ अब तक..." - मोहित ने फिर से तृषा का हाथ पकड़ते हुए कहा
"मेरा मज़ाक बनाने के लिए मुझे यहां बुलाया है, या फिर परेशान करने के लिए, इस से अच्छा तो मैं अपनू रूम पर जा कर रेस्ट ही कर लेती, पता है कितना थक गई हूं आज।" - तृषा मुंह बनाती हुई बोली
"अरे नहीं, बुलाया तो काम के लिए था लेकिन तु है ना बहुत टाइम वेस्ट करती है मेरा" - मोहित सारा इल्जाम तृषा पर लगाता हुआ बोला
"खुद पता नहीं कहां गायब थे जनाब, मुझे बुला कर और अब सारा इल्ज़ाम भी मुझ पर ही लगा रहे हैं।" - तृषा मोहित की तरफ नाराज़गी से देखती हुई बोली
क्रमशः
Pamela
03-Feb-2022 12:32 AM
Kafi achcha likhti h aap ...
Reply
Simran Ansari
06-Feb-2022 03:07 PM
Thanks
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Lotus🙂
29-Jan-2022 05:18 PM
Very nicely written ma'am, kahani achchi ja rahi h aapki...!
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Simran Ansari
31-Jan-2022 01:03 PM
Thank you so much
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